प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आगाज

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आगाज

दिग्विजय महाविद्यालय में पधारे अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक

सभी विज्ञान के पीछे दर्शन होता है: डॉ. एम के वर्मा

मशीन लैंग्वेज के प्रयोग में एक्यूरेसी तथा ट्रांसपेरेंसी आवश्यक: डॉ. अब्राहम वर्गीज

संपूर्ण विश्व की मुख्य समस्या संक्षारण की समस्या: बर्डीमुरुडोव एल्योर

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव में 6 से 8 फरवरी तक तीन दिवसीय “Role of Applied Sciences in Social Implications (IC&RASSI-2023)” विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज हुआ। संगोष्ठी का शुभारंभ महंत राजा दिग्विजय दास को श्रद्धांजलि व माल्यार्पण के साथ किया गया। उद्घाटन सत्र का प्रारंभ सरस्वती वंदना तथा राज्य गीत के साथ हुआ। संरक्षक, प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि – यह सेमिनार विज्ञान के क्षेत्र में एक नई सोच का हिस्सा है। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए जनभागीदारी समिति अध्यक्ष रईस अहमद शकील ने कहा कि – मैं इस सम्मेलन को विद्यार्थियों के लिए एक बेहतर सौगात मानता हूं। मुख्य अतिथि के रूप में माननीय कुलपति डॉ. एम. के. वर्मा, स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी उपस्थित रहे। श्री वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज का सबसे बड़ा हथियार कलम है। विज्ञान का मानव से विशेष संबंध रहा है। सभी विज्ञान के पीछे, दर्शन होता है। मुख्य वक्ता डॉ बर्डीमुरुडोव एल्योर, उज्बेकिस्तान तथा डॉ. अब्राहम वर्गीज, मस्कट उपस्थित रहे। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सुरेश पटेल ने कहा कि ‘‘ज्ञान के मंथन से अमृत प्राप्त होगा‘‘। आयोजन समिति में सह-संयोजक के रूप में डॉ. हेमंत कुमार साव, सचिव के रूप में डॉ. प्रमोद कुमार महीश तथा डॉ. डाकेश्वर कुमार वर्मा तथा तकनीकी टीम के रूप में प्रो राजू खुटे, प्रो गोकुल राम निषाद तथा श्री लक्ष्मण देवांगन ने अमूल्य योगदान दिया। कार्यक्रम की स्मारिका तथा संगोष्ठी से संबंधित पांच पुस्तकों का विमोचन मुख्य अतिथि, आयोजन समिति, प्राचार्य महोदय तथा मुख्य वक्ताओं के द्वारा किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति के रूप में अतिथियों का सम्मान खुमरी पहनाकर किया गया। मस्कट से आए मुख्य वक्ता डॉ. अब्राहम वर्गीज ने ‘‘इंटरप्रेटेटेबल मशीन लैंग्वेज‘‘ पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में उन्होंने फेस, वॉइस, फ्रॉड रिकॉग्निशन, पर्सनलाइज्ड नोटिफिकेशन तथा ChatGPT पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मशीन लैंग्वेज का प्रयोग करते समय एक्यूरेसी तथा ट्रांसपेरेंसी की आवश्यकता होती है, अन्यथा बड़ी गलतियां हो सकती हैं । विद्यार्थियों को प्रेरणा देने हेतु उन्होंने कहा कि “DON’T STUDY FOR MARKS STUDY FOR INTEREST” । ताशकंद, उज्बेकिस्तान से आए डॉ. बर्डीमुरुडोव एल्योर ने ”Corrosion Inhibition Science : Fundamentals, Recent Trends and Future Perspectives” विषय पर व्याख्यान दिया । अपने व्याख्यान में उन्होंने संपूर्ण विश्व के द्वारा देखे जा रहे संक्षारण की समस्या, विभिन्न प्रकार के संक्षारण निरोधक, अधिशोषण, डीएफटी तथा मॉलिक्यूलर डायनामिक्स विषय पर चर्चा की । उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. सोनल मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रायपुर से आए प्रो सुधाकर पांडेय द्वारा दिया गया। द्वितीय तकनीकी सत्र में – केमिकल साइंस, इनवर्टर साइंस, लाइफ साइंस, मैथमेटिकल साइंस, फिजिकल साइंस तथा कंप्यूटर साइंस आदि विषयों पर 20 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए इस सत्र का संचालन प्रोफेसर कविता साकुरे तथा डॉ केशवराम आडिल, गरिमा मंढ़रिया ने किया। सत्र की अध्यक्षता डॉ. एस.के जाधव एवं डॉ. किरण लता दामले ने की।इस संगोष्ठी में देश-विदेश से आये प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, रिसर्च स्कॉलर तथा विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।