शहीद वीरनारायणका योगदान हमेशा याद रहेगा - डॉ. अनिता
शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के इतिहास विभाग में शहीद वीरनारायण सिंह जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ शहीद वीरनारायण केशैल चित्रों पर पुष्पांजलि में प्रारंभ हुआ । कार्यक्रम का शुभारंभ विभागध्यक्षडाॅ.शैलेन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्रांति के समय देश के अधिकांशभागों की तरह छत्तीसगढ़ भी प्रभावित हुआ था। सन् 1856 में इस क्षेत्र मंे भीषण अकाल पड़ा और लोगो को भूखों मरने की नौबत आ गई थी। ऐसे समयमें वीरनारायण सिंह ने व्यापारी के गोदाम का अनाज किसानों को बांटा तथा इसकी सूचनाडिप्टी कमिश्नर को भी दी थी पर उनके कृत्य को कानून विरोधी समझा गया था।
प्रभारी प्राचार्य डॉ.अनिता महिश्वर ने कहा कि वीरनारायण सिंह को छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानाजाता था। वे सोनाखान के जमींदार थे। सन् 1857 केविद्रोह में उन्होनें अंग्रेजो के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई ल़ड़ी थी। 10 दिसंबर 1857 कोउन्हें जयस्तंभ चैक रायपुर में फांसी दी गई थी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.हिरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्र मंे सैनिको को संगठित करके सेना तैयार करने का कार्य अदम्य साहस का प्रतीक था। 1857 की क्रांति के समय वीरनारायण सिंह के संघर्षको कभी भूला नहीं जा सकता । वो आजादी के सच्चे सिपाही थे। आज के युवा पीढ़ी को वीरनारायण सिंह के शहादत को हमेशा याद रखना चाहिए। इस अवसर पर डा.अजय शर्मा, प्रो.टोमेन्द्र साहू के साथ एम.ए.इतिहास एवं एम.एस.सी. वनस्पतिशास्त्र की छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।