एक देश एक पर्यटन नीति : डॉ. शैलेंद्र भारल
पर्यटन जीवन के विविध रंगों में सबसे बेहतरीन रंग है : डॉ. पहलाद कुमार
पर्यटन में महिलाओं की सुरक्षा और सहजता का ध्यान रखना आवश्यक : डॉ. पहलाद
राजनांदगांव – शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त तत्वधान में पर्यटन उद्योग: विकास, संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।
सेमिनार के द्वितीय दिवस का शुभारंभ छत्तीसगढ़ राजगीत के सामूहिक गान से हुआ। चतुर्थ तकनीकी सत्र के अतिथियों का महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के.एल. टांडेकर ने स्वागत करते हुए कहा कि जिन विद्वानों की किताबें पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं उनको प्रत्यक्ष सुनना सौभाग्य का विषय है। किसी भी कार्यक्रम की सफलता टीम भावना पर आधारित होती हैं 150 से अधिक शोध पत्रों के द्वारा संपूर्ण भारत की पर्यटन स्थलों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होना इस सेमिनार की सफलता को सिद्ध करता है।
तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र कुमार भारल, प्राध्यापक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत पर्यटन के लिए अपार संभावनाओं से भरा हुआ है। अतुल्य भारत शब्द पर्यटन की ही देन है। एक देश एक पर्यटन नीति को अपनाना चाहिए। पर्यटन की आवश्यकता न केवल मनोरंजन के लिए बल्कि भारत के सांस्कृतिक विरासत, अध्यात्म, योग एवं चिकित्सा आदि के दर्शन व जानकारी से जुड़ा हुआ है। भारत का मौसम अन्य देशों की तुलना में पर्यटन के लिए सर्वथा अनुकूल है। भारत की जीडीपी में 6.15% का योगदान पर्यटन उद्योग का है। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022 की नीतियों एवं पर्यटन उद्योग की चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सत्राध्यक्ष शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा के वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार जैन ने पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों की विशेषताओं का रुचिकर एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की। इन पर्यटन क्षेत्रों में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देकर अच्छा राजस्व प्राप्त किया जा सकता है।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. प्रहलाद कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ में 100 से अधिक पर्यटन स्थल हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के बाहर के लोग केवल कुछ ही पर्यटन स्थलों के बारे में जानते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति और पर्यटन स्थलों के प्रचार– प्रसार के लिए कार्य कर रही है। सम्मिलित प्रयास से छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र अपनी वैश्विक पहचान बना सकती हैं। पर्यटन में महिलाओं की सुरक्षा और सहजता का ध्यान रखना आवश्यक है। पर्यटन से बौद्धिक शक्ति का विकास होता है और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ. आर. वाय. माहोरे ने कहा कि सेमिनार के विषय विशेषज्ञों ने पर्यटन की अवधारणा को पूरी तरह स्पष्ट किया है। इस विषय में शोध करने के लिए पर्याप्त अवसर और संभावनाएं हैं। विद्यार्थियों का प्रस्तुतीकरण सराहनीय रहा है। विशिष्ट अतिथिद्वय डॉ. शैलेंद्र भारल और डॉ. अनिल जैन ने शोध संगोष्ठी की सार्थकता और सफलता के लिए प्राचार्य और पूरे महाविद्यालय परिवार को बधाई दी। इस सेमिनार में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.के. एल. टांडेकर की किताब ‘टूरिज्म प्लैनिंग एंड डेवलपमेंट‘ का विमोचन किया गया। साथ ही वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एच. एस. भाटिया की किताब ‘रिसर्च मेथाडोलॉजी‘ एवं सहायक प्राध्यापक रागिनी की टूरिज्म पर केंद्रित किताब का विमोचन किया गया। सभी अतिथियों का सम्मान शाल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया गया।
पंचम तकनीकी सत्र में विभिन्न महाविद्यालय से पधारे शोधार्थी एवं प्राध्यापकों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया। इस सेमिनार से लाभान्वित प्रतिभागियों और विद्यार्थियों ने अपना फीडबैक प्रस्तुत किया।
डॉ. एच. एस. अलरेजा और डॉ. के. एन. प्रसाद ने रिपोर्टिंग कार्य किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय देवांगन, डॉ. सुमीता श्रीवास्तव और डॉ. नीलू श्रीवास्तव ने किया। सत्रवार आभार ज्ञापन डॉ. डी.पी. कुर्रे, प्रो. एच. सी और डॉ. एच. एस. भाटिया ने किया।