जिंदगी को जिंदगी से जोड़ते जाओ, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातक उत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के प्राचार्य डॉ के एल टांडेकर के मार्गदर्शन में दिनांक 2 फरवरी 2024 दिन शुक्रवार को महिला बाल विकास समिति राजनांदगांव, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ एवं महिला सेल, दिग्विजय महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कुमारी रीना ठाकुर, परियोजना अधिकारी, श्री चंद्र किशोर लाड़े, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, श्री कृष्णा देवांगन, संरक्षण अधिकारी, कुमारी दिव्या तिवारी, कुमारी विद्या मिश्रा एवं डॉक्टर मोनिका मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए। कार्यक्रम की रूपरेखा प्राचार्य डॉ के एल टांडेकर के निर्देशन में IQAC समन्वयक डॉ अनिता साहा एवं महिला सेल की समन्वयक डॉ मीना प्रसाद के द्वारा तैयार की गई। कु. रीना ठाकुर ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं पृष्ठभूमि, महिला एवं बाल विकास से जुड़ी योजनाओं के उद्देश्य एवं उन्हें प्रारंभ करने का कारण, भ्रूण हत्या, लिंग निर्धारण एवं प्रशिक्षण, संविधान में समानता का अधिकार, जागरूकता, लिंगानुपात, आंगनबाड़ी सुविधा, मातृ वंदन योजना, घरेलू हिंसा, इत्यादि विषयों पर छात्राओं से चर्चा की। श्री चंद्र किशोर लाड़े ने मूलभूत अधिकार जैसे जीने का अधिकार विकास का अधिकार संरक्षण का अधिकार एवं सहभागिता का अधिकार पोषण बाल श्रम तथा किशोर न्याय अधिनियम 2000 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पोक्सो एक्ट 2012 चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 का उपयोग दत्तक ग्रहण बाल अपराध किशोर न्यायालय बाल संप्रेषण गृह इत्यादि पर विस्तार से चर्चा की। श्री कृष्ण देवांगन जानकारी दी की पिछले 6 वर्षों में छत्तीसगढ़ नेपाल विवाह के मामले महिला एवं बाल विकास भाग के प्रयासों से छह प्रसंग घटे हैं। राजनांदगांव एवं बालों जले में बाल विवाह का प्रतिशत सबसे कम तीन प्रतिशत है तथा सबसे ज्यादा पसंद बंगाल में 42% है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह होने के प्रमुख कारण गरीबी, लिंग भेद, परंपरा और संस्कृति, अपर्याप्त कानून जागरुकता, सुरक्षा और शिक्षा, दहेज एवं सामाजिक दबाव इत्यादि हैं। तथा बाल विवाह के दुष्प्रभाव बाल अधिकार से वंचित होना, शिक्षा से वंचित होना, शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रभाव, कुपोषित शिशु को जन्म देना इत्यादि है। उन्होंने बाल विवाह प्रतिशोध अधिनियम 2006 को भी विस्तार से बताया। कुमारी दिव्या तिवारी ने मोबाइल के उपयोग से होने वाली समस्याएं एवं इससे बचने के उपायों के संबंध में चर्चा की। डॉ मोनिका ने कन्याओं की मासिक धर्म की समस्याओं के संबंध में जानकारी दी। कुमारी विद्या मिश्रा ने महिलाओं के कानूनी अधिकार, आईपीसी की धारा 498 क, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 इत्यादि के विस्तार से जानकारी प्रदान की।

कार्यशाला के पूर्व बेटी बचाओ बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर महाविद्यालय की छात्राओं की एक भाषण एवं रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। भाषण प्रतियोगिता के विजेता प्रथम कुमारी भानु उनके द्वितीय कुमारी खुशी तिवारी तथा तृतीय कुमारी भी वैष्णवी भीमते रहे। रंगोली प्रतियोगिता के विजेता नेहा शुक्ला प्रथम तनु साहू द्वितीय तथा साक्षी सिन्हा एवं चित्रलेखा साहू तृतीय स्थान पर रहे। सभी विजेताओं को महिला एवं बाल विकास समिति राजनांदगांव के द्वारा पुरस्कार वितरित किए गए।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ प्रियंका सिंह के द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अनिता साहा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के महिला सेल की सदस्य एवं प्राध्यापक डॉ अंजलि मोहन कोडोपी, डॉ कविता साकुरे, डॉ किरण जैन, डॉ आराधना गोस्वामी, प्रो. ललिता साहू तथा IQAC सेल के सदस्य डॉ डाकेश्वर वर्मा, श्री भाटिया, श्री चिरंजीव पाण्डेय का विशेष योगदान रहा।