राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा ‘‘भारतीय राजनीति: दशा एवं दिशा‘‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन

दिग्विजय महाविद्यालय के राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शामिल हुए आईपीएस, आईएएस

राजनीति को सामंतवादी सोच से मुक्त होना चाहिए: डॉ. वंश गोपाल

डेमोक्रेसी केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है: डॉ. निसार उल हक

बुद्ध औरअंबेडकर के विचारों का अनुसरण करे: आईपीएस श्री रतन लाल डांगी

अखिल भारतीय न्यायायिक सेवा बनें: आईएएस श्री दिलीप वासनीकर

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा ‘‘भारतीय राजनीति: दशा एवं दिशा‘‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वाग्देवी मां भारती एवं छत्तीसगढ़ महतारी के श्री चरणों में दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। उसके पश्चात छत्तीसगढ़ राजगीत की प्रस्तुति की गई। समस्त अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का फूल माला और बैज लगाकर स्वागत किया गया। शोध स्मारिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अंजना ठाकुर ने अपने स्वागत उद्बोधन में समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी आयोजन के रूपरेखा एवं उद्देश्यों का विस्तार से प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य एवं उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष डॉ. के. एल. टांडेकर ने कहा कि स्वर्गीय महंत राजा दिग्विजय दास द्वारा उच्च शिक्षा के लिए एक दीप प्रज्ज्वलित किया गया था जो आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है। इस महाविद्यालय के विद्यार्थी शिक्षा, राजनीति, प्रशासनिक सेवा एवं सामाजिक सेवा जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित होकर महाविद्यालय को गौरवान्वित किया है। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर के माननीय कुलपति डॉ. वंश गोपाल सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान राजनीति सत्ता पर काबिज होने और जनता को प्रभावित करने की राजनीति है। राजनीति के इर्द-गिर्द सारी व्यवस्थाएं घूम रही है यह बड़ी विडंबना है। राजनीति को सामंतवादी सोच से मुक्त होना चाहिए।
प्रथम तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ डॉ. निसार उल हक, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली ने कहा कि गांधी जी ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधा। भारत का इंस्टिट्यूशन दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंस्टिट्यूशन है। भारत की डेमोक्रेसी मजबूत है। डेमोक्रेसी का मतलब केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है। वास्तविक प्रतिनिधि वह होता है जो जनता का प्रतिनिधित्व करें, ना कि किसी पार्टी का। वर्तमान राजनीति प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन पर केंद्रित है। पब्लिक और प्राइवेट पार्टनरशिप में संसाधनों के उचित उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं सरकार की है।
शासकीय स्वशासी महाविद्यालय छिंदवाड़ा के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार मिश्र ने विषय विशेषज्ञ के रूप में भारतीय राजनीति की दशा और दिशा पर सारगर्भित और व्यवहारिक व्याख्यान देते हुए कहा कि वर्तमान राजनीति मंत्रिमंडलीय शासन प्रणाली पर आधारित है, जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है। लोकतंत्र भीड़ तंत्र में कनवर्ट हो रहा है। सत्ता के लालच में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का दलबदल करना जनता की भावनाओं के साथ बेशर्मी के साथ किया गया छल है। विकास की अवधारणा केवल अधोसंरचना के विकास तक सीमित न होकर जनता के समग्र विकास का पर्याय होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित निदेशक राज्य पुलिस अकादमी रायपुर, छत्तीसगढ़ के आईपीएस अधिकारी श्री रतनलाल डांगी ने अपने शोधपत्र का वाचन करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति सबको पढ़ना चाहिए। देश कैसे चलता है इसका पता होना चाहिए। भारतीय राजनीति एवं नक्सल समस्या पर प्रकाश डाला। बुद्ध और अंबेडकर के विचारों का अनुसरण करना चाहिए। दंतेश्वरी महाविद्यालय दंतेवाड़ा के पूर्व प्राचार्य डॉ. आर. के. पुरोहित ने द्वितीय तकनीकी सत्र के अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि व्यवहारवाद हमारे शासन की दशा एवं दिशा को निर्धारित करता है। कई रोचक प्रसंगों के माध्यम से उन्होंने भारतीय राजनीति को स्पष्ट किया।

तृतीय तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नागपुर से आमंत्रित राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मंदाकिनी माहोरे ने भारतीय राजनीति के स्याहपक्ष को उजागर किया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि विभागीय जांच आयुक्त आईएएस अधिकारी श्री दिलीप वासनीकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश में अखिल भारतीय न्यायायिक सेवा बनें। संविधान के अनुरूप देश की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान राजनीति की विसंगतियों पर यथार्थपरक व्याख्यान दिया।
संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। वाणिज्य विभाग की डॉ. प्रज्ञा मिश्रा, दिव्या पवार और तरुणा वर्मा की किताब का विमोचन किया गया। समस्त अतिथियों का महाविद्यालय परिवार की ओर से स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। संगोष्ठी का संचालन एवं आभार व्यक्त डॉ. राजकुमार बंजारे और श्री संजय सप्तर्षि ने किया। विशेष रुप से श्री हेमंत नन्दागौरी व महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।