"एक्वेरियम के निर्माण एवं रखरखाव" का कौशल सीखा मात्यस्यिकी के विद्यार्थियों ने
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर के. एल . टांडेकर के मार्गदर्शन में शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग, साइंस क्लब एवं IQAC के संयुक्त तत्वाधान पर में "एक्वेरियम निर्माण एवं रखरखाव" विषय पर दिनांक 17 एवं 18 अगस्त 2023 को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम मे MOU के तहत शासकीय शिवनाथ विज्ञान महाविद्यालय राजनाँदगांव, शासकीय कमला देवी राठी महाविद्यालय राजनाँदगांव, भिलाई महिला महाविद्यालय दुर्ग, W.W. पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग को भी आमंत्रित किया गया। कार्यशाला का प्रारंभ करते हुए प्राचार्य ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा बच्चों में उद्यमिता विकास एवं कौशल विकास हेतु इस तरह के कार्यशाला का आयोजन आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए जो शिक्षा उपरांत विद्यार्थियों के जीवन में रोजगार के सृजन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे। विभागाध्यक्ष डॉ किरण लता दामले ने मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित श्री शेख यासीन ,मॉडर्न एक्वेरियम शॉप राजनांदगांव का परिचय देते हुए विद्यार्थियों को बताया कि औद्योगिक मत्स्य एवं मात्स्यिकी के अंतिम वर्ष के पाठ्यक्रम में एक्वेरियम से संबंधित पाठ्यक्रम है, साथ ही स्नातक के कौशल उन्नयन कोर्स मे भी एक्वेरियम से संबंधित जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में कौशल विकास करना है। विद्यार्थियों में लघु उद्यमिता विकास हेतु इस प्रकार के पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है ताकि विद्यार्थी लाभान्वित होकर भविष्य में स्वरोजगार प्राप्त कर सकें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शेख यासीन ने कार्यशाला के प्रथम दिवस विद्यार्थियों को एक्वेरियम के अलग-अलग आकार, बनाने के लिए उपयोग होने वाले सिलिकॉन ग्लू का उपयोग करते हुए एक्वेरियम बनाकर दिखाया, तथा कार्यशाला के दूसरे दिवस एक्वेरियम में फिल्टर, हीटर, लाइट, आर्टिफिशियल स्टोन, एक्वेटिक प्लांट, एवं रंग बिरंगी मछलियां डालकर बच्चों को उसके रखरखाव एवं प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह बैठ कर सम्मानित किया गया। कार्यशाला का संचालन डॉक्टर माजिद अली एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री चिरंजीव पांडे द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्राणी शास्त्र स्नातकोत्तर प्रथम एवं अंतिम वर्ष के विद्यार्थी मातस्यिकी के तीनों वर्ष के विद्यार्थी, विभाग के प्राध्यापक डॉ संजय ठिसके, श्री गुरप्रीत सिंह भाटिया, श्रीमती करुणा रावटे, महेश कुमार लाडेकर का विशेष योगदान रहा।