शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पाठ्यक्रम एवं शोध सुधार विषय पर आयोजित 05 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के चतुर्थ दिवस मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. दिग्गिकर, असिस्टेंट प्रोफेसर अहमदनगर, महाराष्ट् सम्मिलित हुए। संस्था के प्राचार्य डॉ के. एल. टांडेकर मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय शिक्षा निति की अवधारणा के प्रथम चरण की चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने महाविद्यालय में संचालित विभिन्न विषयों की जानकारी भी साझा की। डॉ राहुल दिग्गिकर ने अपने व्याख्यान में बताया कि भारतीय शिक्षा जगत का संक्षिप्त विवरण देते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पूर्व की स्थिति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के बाद की स्थितियों, एक्सटेंसिंव अप्रोच और मल्टीडिसिप्लीनरी एजुकेशन जैसे बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय नालंदा ,वल्लभी , उदंतपूरा ,तक्षशिला सोमापूरा, पुष्पगिरी, विक्रमशिला ,जगदला अवंती के शिक्षा प्रणाली के बारे में बताएं। जो प्राचीन भारत समेत पूरे विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहे हैं। ASI के तलहेरा प्रोजेक्ट के तहत प्राचीन भारत शैक्षणिक संस्थानों के शोध के बारे में बताते हुए। ब्रिटिश काल से लेकर आधुनिक भारत तक की शिक्षा नीतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। 5 ़3 ़ 3 ़ 4 प्रणाली से होने वाले परिवर्तन के साथ शोध के लिए NRF की फंडिंग,शिक्षक- प्राध्यापक अनुपात 1:25,NHEQF,NHER1991,HEGC,GER, लोक विद्या, AEC , 4 वर्षीय मल्टीडिसीप्लिनरी यूजी प्रोग्राम, 4 वर्षीय ऑनर्स कोर्स, मेजर- माइनर – इलेक्टिव स्किल डेवलपमेंट,ATE कॉन्सेप्ट, सर्टिफिकेट- डिप्लोमा-डिग्री , बेसिक बेचलर डिग्री, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की जानकारी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति बाणभट्ट द्वारा रचित कादंबरी में दर्शाए 64 कलाओं से प्रेरित बताया। NEP में HGDC द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना की मांग की गई थी जो ‘‘निपुण भारत मिशन‘‘ के रूप में संचालित है। NEP का मूल उद्देश्य भाषाई विविधता का संरक्षण, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन है, निकट भविष्य में देश में आईआईटी और आईआईएम के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ की स्थापना की जाएगी। उक्त कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक सहायक प्राध्यापक सम्मिलित हो रहे।